मां हिरन की बच्चों के लिए दी गई कुर्बानी का सच होश उड़ाने वाला है
शाहिद कपूर ने भी ये फोटो शेयर की थी ट्विटर पर. 1.5 लाख से ऊपर लाइक मिले हैं. अब सोचिए कि ये फोटो शाहिद के पास तो बाद में पहुंचा है. उनसे पहले कितने करोड़ लोगों तक पहुंचा होगा. हमारी स्टोरी ही 6 लाख लोगों तक पहुंची है. तमाम साइट्स को मिला दें तो ये आंकड़ा पता नहीं कहां पहुंचेगा. फोटोग्राफर को सैकड़ों लोगों ने मैसेज किया कि क्या तुम डिप्रेशन में हो. वो कई लोगों पर केस करने का सोच रहे हैं. एक फोटो कैसे दुनिया को दिग्भ्रमित कर सकती है, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है. बाद में शाहिद ने फोटो डिलीट कर दिया. शाहिद ने लिखा था कि कोई भी बाप मां की बराबरी नहीं कर सकता. औरतें उनसे बहुत आगे हैं. ये बात अपनी जगह है. पर फोटो वाली बात तो आज की दुनिया का सच है. कि फिल्म स्टार्स या किसी भी सेलिब्रिटी की बात पर हमें आंख मूंदकर भरोसा नहीं करना चाहिए. वो भी हमारे जैसे ही लोग हैं. अपने काम में आगे हैं. वो भी इन चीजों का शिकार आसानी से बन सकते हैं.
सोशल मीडिया पर एक फोटो तैर रही है. फोटो खींचने वाली डिप्रेशन में बताई जा रही हैं. फोटो में दो चीते एक इंपाला को मार रहे हैं. पर हमारे यहां ऐसे जानवर को हिरन ही कहा जाता है. तो पकड़ में आया हिरन एकदम शांत है. कहा जा रहा है कि ये मां है. चाहती तो भाग सकती थी. पर इसके साथ दो बच्चे भी थे. अपने बच्चों को बचाने के लिए इसने खुद को चीतों को सौंप दिया. बच्चों को भगा दिया. इस फोटो में जब चीते उसे मार रहे हैं, वो अपने भागते हुए बच्चों को देख रही है. ये फोटो लोगों के मन में करुणा पैदा करती है. बलिदान और त्याग की फोटो है ये. साथ ही निडर भाव से जिंदगी कुर्बान करने की इच्छा जगाती है. प्यार की ताकत दिखाती है.
शाहिद कपूर ने ये फोटो शेयर की थी, उसका स्क्रीनशॉट देखिए:-
इसी के साथ ये तस्वीर हम सबको मूर्ख बनाती है.
फोटो खींचने वाली एलिसन बटिगिग ने अपनी फेसबुक पोस्ट में इस दर्द को बयान किया है. कहती हैं- मैंने सितंबर 2013 में केन्या में देखा था कि चीते हिरन को मार रहे हैं. नराशा चीतों की मां है. वो अपने बच्चों को शिकार करना सिखा रही है. तो वो एकदम मार नहीं रहे थे. थोड़ा खेल रहे थे. नराशा ने ही हिरन की गर्दन को पकड़ रखा है. बच्चे कूदने और हमला करने की प्रैक्टिस कर रहे हैं. पर इस फोटो में जो चीज सबसे ज्यादा उभर के सामने आ रही है, वो है हिरन का एकदम शांत होना. पर ये वजह शॉक फैक्टर हो सकती है. डर की वजह से हिरन पैरालाइज्ड हो सकता है. ये अपने बचने की कोशिश भी नहीं कर रहा, साथ ही इसकी आंखों में डर भी नहीं दिख रहा. इसी वजह से मैंने ये फोटो खींची थी.
ये तो हो गया हिरन का शिकार. वाकई में ये अजीब है. इस कदर शिकार बनना किसी की भी रीढ़ को ठंडा कर देगा. एक आम इंसान के लिए ये तस्वीर ही उतना खौफ पैदा करेगी.
पर इससे ज्यादा खौफनाक है, इन चीजों के आधार पर परसेप्शन बनना. समाज में फेसबुक, ट्विटर और वॉट्सएप से इतनी ज्यादा इन्फॉर्मेशन आ रही है कि लोगों का दिमाग कुंद हो जा रहा है. अगर आप ध्यान दें तो याद आएगा कि मुजफ्फरनगर दंगों के दौरान पाकिस्तान और अफगानिस्तान में हुई मौतों की फोटो वायरल की जा रही थी. ठीक इसी तरह बंगाल में भी बाहर की तस्वीरों के माध्यम से नफरत फैलाई जा रही थी.
इतनी ज्यादा इन्फॉर्मेशन आने से अब खबरों की पड़ताल कम हो गई है. लोग तुरंत ही भरोसा कर लेते हैं. कोई सोचता नहीं. अभी कुछ दिन पहले शिफू नाम से एक आदमी खुद को कमांडो ट्रेनर बता के यूट्यूब के वीडियो में भद्दी-भद्दी गालियां दे रहा था. खुद को मानवता औऱ हिंदुस्तान का रक्षक बताता था. लोग उसके फॉलोवर भी बन गये थे. पर उसका सच अब सामने आ गया है. शिफू का पूरा बताया हुआ झूठ निकला.
ये मानसिकता हम पर इतनी हावी हो गई है कि इसकी परिणति हमने नागालैंड में हुई एक हत्या में देखी थी. एक इंसान को पब्लिक पीटती हुई कई किलोमीटर तक ले गई थी. फिर उसको जान से मार दिया गया था. मतलब हमने सोचना ही बंद कर दिया है. कुछ भी देखते हैं, उसके आधार पर तुरंत अपनी राय बना लेते हैं.
इस फोटो के साथ भी वही समस्या है. हिरन का मरना पशु-प्रेमियों के लिए दुखदायी हो सकता है. वहीं कुछ लोगों को ये शिकार अद्भुत लग सकता है. पर जिस तरीके से ये माहौल बनाया जा रहा है, वो गलत है. मतलब जिस चीज को आप मान के चल रहे हैं, उसका बेस ही झूठ है. ये कितनी गलत बात है. लोगों की भावनाओं से खेलना. धीरे-धीरे ये चीज हमारी आदत बनती जा रही है. हमें हर चीज को एक ऑब्जेक्टिव नजरिए से देखने की आदत डालनी ही होगी.
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